Sunday, May 31, 2020

शेख तकी पीर द्वारा कबीर परमेश्वर को 52 बार मरवाने की कोशिश | 52 cruelties on God Kabir

शेख तकी पीर द्वारा कबीर परमेश्वर को 52 बार मरवाने की कोशिश।

600 वर्ष पूर्व भारत, काशी शहर की पवित्र भूमि पर परमेश्वर कबीर दास जी का प्राकटय हुआ था। विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा सुबह-सुबह ब्रह्ममुहुर्त में वह पूर्ण परमेश्वर कबीर (कविर्देव) जी स्वयं अपने मूल स्थान सतलोक से आए। काशी में लहर तारा तालाब के अंदर कमल के फूल पर एक बालक का रूप धारण किया। जहाँ से उन्हें नीरू और नीमा नाम के निसंतान दंपत्ति उठा कर ले गए थे और कबीर परमेश्वर जी ने 120 वर्ष जीवन जिया




इतिहास गवाह है की मगहर शहर में शरीर छोड़ते वक़्त कबीर जी के  शरीर के स्थान पर चाद्दर के नीचे सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्म हिन्दू व् मुसलमानों ने आपस में आधे आधे बांटकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह कबीर साहेब की लीला दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण बना।


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कबीर साहेब की 52 परीक्षाएं


परमेश्वर कबीर साहेब कलयुग में जीवों का उद्धार करने के लिए अवतरित हुए थे, उन्होंने हिन्दू धर्म में प्रचलित पाखंडवाद, शास्त्र विरुद्ध भक्ति आदि का ताउम्र विरोध किया और सद्ग्रंथो में वर्णित सतभक्ति का प्रकाश फैलाया। मुस्लिम धर्म में प्रचलित जीव हत्या का कबीर परमात्मा ने पुरजोर विरोध किया था। उस समय कबीर जी का तत्वज्ञान सुनकर उनके 64 लाख शिष्य हुए। सभी धर्मों के व्यक्तियों ने कबीर साहेब से नाम उपदेश प्राप्त किया और अपना कल्याण करवाया,  उन्ही शिष्यों में से एक था दिल्ली का सुल्तान सिकंदर लोधी था।

दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी को असाध्य जलन का रोग था जो किसी भी वैद्य, आध्यात्मिक संत, जंतर मंतर से ठीक नहीं हुआ।
लेकिन कबीर परमेश्वर ने आशीर्वाद मात्र से सिकंदर लोदी के असाध्य जलन के रोग को ठीक कर दिया और एक बार दिल्ली के राजा सिकंदर लौधी ने एक गऊ के तलवार से दो टुकड़े कर दिये। गऊ को गर्भ था और बच्चे के भी दो टुकड़े हो गए। तब राजा ने कहा कि कबीर, यदि तू खुदा है तो इस गऊ को जीवित कर दे। साहेब कबीर के आशीर्वाद से उसी समय दोनों माँ-बेटा जीवित हो गए। साहेब कबीर ने गऊ से दूध निकाल कर बहुत बड़ी देग (बाल्टी) भर दी तथा कहा -

गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी न बाह।
गरीबदास घी दूध को, सब ही आत्म खाय।।” 


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तब से सिकंदर लोधी, कबीर साहेब जी को अल्लाह मानता था। इस कारण वश सिकंदर लोधी का धार्मिक गुरु शेख तकि पीर कबीर साहेब से ईर्ष्या करता था । कबीर साहेब को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसने 52 बार उन्हें मरवाने की नाकाम कोशिश की।

तलवार से कटवा कर मारने की कोशिश।



दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के पीर शेख तकी ने कबीर साहेब को गुंडों से मरवाने की निष्फल कुचेष्टा की। शेख तकी के गुंडों ने तलवार से कबीर साहिब जी के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और अपनी तरफ से मरा हुआ जानकार चल पड़े लेकिन बाहर निकलने पर पीछे से कबीर साहिब ने आवाज देकर कहा पीर जी दूध पी कर जाना। उनको भूत समझकर सभी गुंडे और शेख तकि डर कर वहां से भाग गए।
यह पूर्ण परमेश्वर कबीर जी की समर्थता का प्रमाण है। 


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खूनी हाथी से मरवाने की कूचेष्टा।



एक बार कबीर परमेश्वर को खूनी हाथी से मरवाने की चेष्टा की गई, तब कबीर परमेश्वर ने बब्बर शेर का रूप धारण किया जिससे हाथी घबराकर भाग खड़ा हुआ। कबीर परमेश्वर ने महावत को भी सिंह के दर्शन करा दिए डर के मारे वह भी भाग गया। राजा सिकंदर लोधी को कबीर परमात्मा ने अपना  विराट रूप दिखाया। तब राजा थर्र थर्र काँपता हुआ अपने सिंघासन से नीचे आया और कबीर परमेश्वर को दंडवत प्रणाम किया।
कबीर परमेश्वर समर्थ भगवान है उनका नाश नहीं हो सकता।


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कबीर साहेब को झेरे कुएं में डालना।



दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के धार्मिक पीर शेख तकी ने कबीर परमेश्वर को 150 फुट नीचे गहरे कुएं में डलवा दिया और ऊपर से मिट्टी, कांटेदार छड़ी, गोबर, ईट आदि से डेढ़ सौ फुट ऊंचा भर दिया। लेकिन कबीर साहेब का वह कुछ नहीं बिगाड़ पाया, लौटते वक़्त कबीर साहेब उस को सिकंदर लोधी के पास ही आसन पर बैठे दिखाई दिए लेकिन फिर भी उस पापी आत्मा ने कबीर जी को परमात्मा नहीं माना।


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उबलते तेल के कड़ाहे में डालना।



दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने मुस्लमान पीरों के दबाव में अपने धार्मिक पीर शेखतकी को  कबीर परमेश्वर को सरसों के गर्म तेल के कढ़ाई में डालने को कहा और कहा यदि वह न मरे तो हम उन्हें ख़ुदा मान लेंगे। तब कबीर परमेश्वर उबलते तेल में इस तरह से बैठ गए जैसे कि शीतल जल में बैठे हो। तब बादशाह सिकंदर लौधी ने कहीं तेल ठंडा तो नहीं है यह सोचकर उस में उंगली डाल कर देखी तो सिंकदर की उंगली कट कर गिर गई, पीड़ा के कारण बादशाह बेहोश हो गया।तब कबीर परमेश्वर ने सिकंदर लौधी के हाथ की उंगली को पूरा किया।
यह कबीर परमेश्वर की समर्थता का प्रमाण है।


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गंगा दरिया में डूबोकर मारने की चेष्टा



एकबार दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी ने आदेश दिया कि कबीरजी को नौका में बैठाकर गंगा दरिया के मध्य में डालकर डुबोकर मार दो। आज्ञा मिलते ही सिपाहीयों ने कबीर जी को गंगा दरिया के मध्य ले जाकर जल में फैंक दिया। कबीर परमेश्वर जी की हथकड़ी, बेड़ी तथा गले की तोक अपने आप टूट गई। कबीर परमेश्वर जी जल के ऊपर सुखासन लगाकर बैठे रहे, डूबे नहीं। इस मुस्लमान धर्म के पीर शेख तकी के आदेश वश सैनिको ने परमेश्वर कबीर जी को मारने की बहुत कोशिश करी लेकिन उनका बाल भी बाका नहीं हो पाया, कबीर जी ने दया करी। जल के अंदर समा गए। शेखतकी खुशी से नाचने लगा कि डूब गया दुश्मन।
परमेश्वर कबीर जी अंतर्ध्यान होकर रविदास जी की कुटिया में बैठे मिले। समर्थ परमात्मा कबीर जी के लिए कुछ भी करना नामुमकिन नहीं है।


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मुर्दे को जीवित करना



दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेखतकी ने कहा कि अगर यह कबीर अल्लाह है तो यह किसी मुर्दे को जीवित करे। तब कबीर साहेब ने सुबह दरिया के बहाव में एक 10,12 वर्ष की आयु के लड़के का शव जो पानी में तैरता हुआ आ रहा था। उस शव को कबीर परमेश्वर ने जिन्दा किया उसका नाम कमाल रखा।


इस प्रकरण से भी पीर शेख तकी नहीं माना, उसने एक बार फिर कबीर परमेश्वर की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्हें कहा हम आपको वास्तव में तब प्रभु मानेंगे जब आप मेरी लड़की को जीवित कर देंगे जो कब्र में दबी हुई है। कबीर परमेश्वर ने शेख तकी की लड़की को जीवित कर दिया लेकिन शेख तकी ने फिर भी कबीर साहेब को अल्लाह नहीं माना और मनमानी करता रहा।
उस लड़की का नाम कमाली रखा गया और कबीर साहिब ने उसे अपनी बेटी के रुप में अपने साथ रखा।


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काशी में विशाल भंडारा करना



एक बार शेख तकी पीर ने ईर्ष्यावश कबीर साहेब जी के नाम से झूठी चिट्ठी डलवा दी की कबीर जी विशाल भंडारा करेंगे। कबीर जी जुलाहे का कार्य करते थे, कम महंताना मिलने के बावजूद, कबीरजी ने काशी में 3 दिन तक 18 लाख लोगों के लिए भंडारा आयोजित किया था। प्रत्येक खाने के पश्चात् सभी को एक स्वर्ण की मोहर तथा एक दोहर दान दी थी।
कबीर साहेब के लिए कुछ भी असंभव नहीं  है।


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इस प्रकार परमात्मा कबीर साहेब को 52 बार मरवाने की कोशिश की गयी थी पर परमात्मा को कोई हानि नहीं पहुंची क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब अजर अमर अविनाशी प्रभु हैं। 


कबीर साहेब का दिया सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के लिए सुने कबीर साहेब के नुमाइंदे संत रामपालजी महाराज के पावन सत्संग- साधना  TV रात  7:30 pm पर।
Visit our website- Jagatgururampalji.org



Wednesday, May 20, 2020

Humanitarian work by Saint Rampal Ji Maharaj । संत रामपालजी महाराज के पवित्र कार्य।

Humanitarian work by Saint Rampal Ji Maharaj । संत रामपालजी महाराज के पवित्र कार्य।

There are many religious organisations and leaders in India who continuously work for spiritual and social development of people. But in return of that they ask for large amount of (dan, dakshina) alms and donations. Only 20 to 30 percent of the money of charity is spent in the service of the public and remaining is used to fill their pockets. Like this they have made a good business on the name of religion.


Out of these religious leaders, only Saint Rampal Ji Maharaj is working with full transparency and faithfulness for the spiritual and social benefits of people.


Saint Rampal Ji Maharaj Says:

“Our race is a living being, Humanity is our religion,
Hindu Muslim Sikh Christian, there is no other religion.”

Saint Rampal Ji Maharaj believes that humanity is the only religion we should follow. Humanity teaches us to forget our selfish interests at times when others need our help. Humanity means extending unconditional love to each and every living being on Earth.
On the basis of same philosophy, Saint Rampalji Maharaj wants to make such arrangements that this earth become like heaven. He did various social work for upliftment of our society.
Saint Rampal Ji Maharaj has eliminated various social evils from our society with his true spiritual knowledge. Today Millions of followers of Saint Rampal Ji Maharaj-
  • do not take or give dowry,
  • do not give or receive a bribe
  • do not consume alcohol or any type of intoxicants
  • treat all women as their mother and sister, and are always ready to serve humanity.


Social work by Saint Rampal Ji Maharaj-


Not only improving people mindset through spiritual teachings, Saint Rampal Ji Maharaj did lot of social work too.

Eliminated Dowy System-

It is really astonishing to see that there are millions of families in the country who follows Saint Rampalji Maharaj teachings and consider taking dowry a sin.
Even after draconian laws, the policies of the government seem dwarf in front of dowry greed.  Millions of families were ruined by this dowry system.  With the spiritual knowledge of Saint Rampal Ji Maharaj, not only evil as dowry but other evils are also coming to an end.
Saint Rampal Ji Maharaj’s disciples have set an example that neither they take dowry nor they accept it.  Following the rules of Sant Rampal Ji, a happy and civilized society is being prepared.  Millions of marriages have taken place without dowry, without external fame, thereby bringing happiness and peace in the society. 




Saint Rampalji Maharaj has also constituted Kabir Human welfare committee, in which daughters of poor families will be raised by this committee, by bearing all her expenses up to 12th standard and of her marriage.

Blood and Body Donation programmes-

“Serving humanity is the passion of the followers of Saint Rampal Ji Maharaj”
Thousands of followers of Saint Rampalji Maharaj of all religions are presenting a great example of Unity, humanity and brotherhood in the country; they have donated their blood and body whenever it’s needed. Followers of Saint Rampalji Maharaj do not consume intoxicants because of this they are serving the global need for safe blood.


Providing Food in the situation of Pandemic-

In the crisis of Coronavirus (COVID-19) pandemic Saint Rampal Ji Maharaj has ordered his followers to provide food and basic necessities to the needy. The followers of Saint Rampal Ji Maharaj came forward and organised bhandara at various places, helping migrant workers, providing them food and shelter in their ashrams. They are providing food to the poors on daily basis and helping government and non- government organisations in their feeding meal programme too.




Narcotics Free Society-

Saint Rampalji maharaj followers do not consume intoxicants like alcohol, tobacco, hemp, poppy husk, cannabis, opium and other intoxicants. They are forbidden to even help others in consuming such intoxicants. The Indian Government has opened several Drug de-addiction centres but they are not successful in fulfilling the objective. On the other hand, Saint Rampal Ji is doing this absolutely free of cost by giving the true devotion of God Kabir. In addition to this, the organization is actively working towards spreading awareness about the harmful effects of intoxication and how it is causing pollution, obstruction in the spiritual path and moral devaluation.
  


Other work-

In the satsang by Saint Rampal Ji, social harmony, indecent attires, consumption of intoxicants, loss of humanity due to obscenity and adultery and loss of the civilization are explained in a very effective manner with logic. Due to which millions of people have left doing such things. The only option to eliminate rapes, sexual harassment, theft-robbery, corruption and hypocrisies from our society is to listen the Satsangs of Sant Rampal ji Maharaj. 

Saint Rampal Ji does not discriminate based on race, color, caste or religion. He treats everyone equally as the children of Supreme God. People from all sects, castes and religions are his followers and everyone is treated equally.
So to live happy, healthy, peaceful life and for the purpose to attain salvation take an initiation from Sant Rampal Ji Maharaj without any delay. Presently Sant Rampal Ji Maharaj Ji is the only complete saint in this world who is not only working for human welfare but also providing scripture based true spiritual methods to attain Salvation.

Listen to the auspicious discourses of Saint Rampal Ji Maharaj on Sadhna Channel daily at  7: 30–8.30 pm. Also, to download book “Jeene ki rah” for free visit our website.


Thursday, May 14, 2020

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?


India is a country with diverse culture. The ethics and tradition of India is famous worldwide. Indian culture is the oldest culture in the world which is about 5,000 thousand years old.  Indian culture is considered to be the world's first and greatest culture. Important elements of India are etiquette, culture, civil society, religious rites, beliefs and values. Intimacy between people of different culture and tradition has created a unique country, India.  People live peacefully in India by following their own culture and tradition.

Now that everyone's lifestyle is getting modern, Some Indian people are still maintaining their tradition and values.  While other has totally adopted western culture and has total influence of western mindset.

Today people in India have become highly influenced by modern culture, due to which they are forgetting their values, morals and ethics, this is the reason that criminal activities are increasing day by day in India.

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?
India's culture is its strength

Factors on which India is losing its cultural image- 

1.) Influence of Movies-

Yes, India has lost its cultural image mainly due to Films. Today’s Films shows Indecency in the name of fashion which is dominated by nudity and obscenity. Clothing shows more of the body. Which has a direct impact on the youth because of which people today forgetting their own civilization and culture and adopting western civilization.

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?
Boycott Films


2.) Western Fashion-

Indians are known for their decent Outfit. Which shows the respect for their society at large. But western influence has left no shame in the Youths of India.
People today are opting for indecent cloths in the name of fashion. Which is increasing crimes of eve teasing and rape.
Yes, cloths are not responsible for most of the rapes but somewhere we accept it or not it provoke people to do such crimes.

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?
Indian Culture is best


3.) Use of Intoxicants-

In the Golden age, nobody use to drink alcohol, people at that time have never consumed tobacco, drugs, or other intoxicants because of which they live healthy life. Now people has become more addictive to these things.

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?
Stop intoxication


4.) Problem of Education System-

As long as people studied in Gurukulas in India, there were more of respect in their gestures. Gurukula education system gives students the knowledge about their culture, their scriptures, ethics, brings them close to nature, yogasanas, knowledge about practical situations of life etc. While Modern education provides practical knowledge which has nothing to do with our morals and values, for which India is famous for.

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?
Gurukulas were best


5.) Worshipping methods which has no relevance to our scriptures-

It’s the most important factor by which people in India has lost its morals and values. Today, many fake Gurus, saints, babas, pandits, Brahmins, astrologers etc. are running their business of fooling people on the name of god. They tell people those worshipping methods which has no relevance to our scriptures.
Like- They ask people to keep different fasts, they make them spend lakhs of rupees in Havans and vastus, they establish fear in them and make lot of money in the name of “Guru dakshina”.
Due to which people get no benefits, they lost their credibility in god and in last they are left with no choice but to become an atheist.

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?
Scriptures are necessary


How can India can be resurrected?

First of all we need to ban films in India. The impact of films is changing the mentality of people by which crimes, nudity, indecency prevails in our country.

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?
Ban Films


If we really want to regain our culture back then we need to be directed towards spirituality again. India is known for its cultural image which has been completely destroyed by western influence. We need to teach our children about values, respect, decent dressing sense or even our own language “Hindi”. Hindi is identity of Indians.

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?
Worship as per Scriptures

Spiritual knowledge based on our scriptures has power to change the mindset of people. We need to find that Saint/Guru who tell us worshipping methods that are based solely on our scriptures. He shouldn’t wander to ask for alms and donations like other saints do.
Real saint/guru is a complete knower of all the religious texts.  He will give initiation of three nams in three stages (Gita adhya 17 mantra 23). As per Yajurved Adhyay 19 Mantra 25, 26 True Guru will be the one who elaborate the incomplete sentences of the Vedas.

These all are traits of true guru and he is non other than SaintRampal Ji Maharaj.

How can we revive Indian culture? | कैसे हो सकता है भारत का पुनरुत्थान ?
True Guru


By the impact of Satsangs (True spiritual knowledge) told by Saint Rampal Ji Maharaj today millions of people who are his followers left wasting their time in movies etc., they have completely left the use of intoxicants, they wear decent clothes, speak decent language without using any abusive words and are again regaining their sacraments back. They are working hard to attain salvation by opting a true devotional path told by Saint Rampal Ji Maharaj.

It’s guaranteed that if Indians opt true spiritual knowledge told by Saint Rampal Ji Maharaj and take naam diksha (initiation) from him then India can definitely regain its cultural image which was in the Golden age (Satyug). There will be no crime and peace will prevail in our entire nation.

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गोवर्धन पूजा का महत्व

हिंदुओं   के   शुभ   त्योहारों   में   से   एक   गोवर्धन   पूजा   हिंदू   कैलेंडर   के   अनुसार   कार्तिक   शुक्ल   प्रतिपदा   को   अर्थात  ...