शेख तकी पीर द्वारा कबीर
परमेश्वर को 52 बार
मरवाने की कोशिश।
600 वर्ष
पूर्व भारत, काशी शहर
की पवित्र भूमि पर परमेश्वर कबीर दास जी का प्राकटय हुआ था। विक्रमी
संवत् 1455 (सन् 1398) ज्येष्ठ
मास की पूर्णिमा सुबह-सुबह ब्रह्ममुहुर्त में वह पूर्ण परमेश्वर कबीर (कविर्देव)
जी स्वयं अपने मूल स्थान सतलोक से आए। काशी में लहर तारा तालाब के अंदर कमल के फूल
पर एक बालक का रूप धारण किया। जहाँ से उन्हें नीरू और नीमा नाम के निसंतान
दंपत्ति उठा कर ले गए थे और कबीर परमेश्वर जी ने 120 वर्ष जीवन
जिया।
इतिहास गवाह है की मगहर शहर में शरीर छोड़ते वक़्त कबीर जी के शरीर के स्थान पर चाद्दर के नीचे सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्म हिन्दू व् मुसलमानों ने आपस में आधे आधे बांटकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
इतिहास गवाह है की मगहर शहर में शरीर छोड़ते वक़्त कबीर जी के शरीर के स्थान पर चाद्दर के नीचे सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्म हिन्दू व् मुसलमानों ने आपस में आधे आधे बांटकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह कबीर साहेब की लीला दोनों धर्मों हिंदुओं और
मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण बना।
Kabir das |
कबीर साहेब की 52 परीक्षाएं
परमेश्वर कबीर साहेब कलयुग में जीवों का उद्धार
करने के लिए अवतरित हुए थे, उन्होंने हिन्दू धर्म में प्रचलित पाखंडवाद, शास्त्र
विरुद्ध भक्ति आदि का ताउम्र विरोध किया और सद्ग्रंथो में वर्णित सतभक्ति का
प्रकाश फैलाया। मुस्लिम धर्म में प्रचलित जीव हत्या का कबीर परमात्मा ने पुरजोर
विरोध किया था। उस समय कबीर जी का तत्वज्ञान सुनकर उनके 64 लाख शिष्य
हुए। सभी धर्मों के व्यक्तियों ने कबीर साहेब से नाम उपदेश प्राप्त किया और अपना
कल्याण करवाया, उन्ही
शिष्यों में से एक था दिल्ली का सुल्तान सिकंदर लोधी था।
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी को असाध्य जलन का रोग
था जो किसी भी वैद्य, आध्यात्मिक संत, जंतर मंतर से ठीक नहीं हुआ।
लेकिन कबीर परमेश्वर ने आशीर्वाद मात्र से सिकंदर
लोदी के असाध्य जलन के रोग को ठीक कर दिया और एक बार दिल्ली के राजा सिकंदर लौधी ने एक गऊ के
तलवार से दो टुकड़े कर दिये। गऊ को गर्भ था और बच्चे के भी दो टुकड़े हो गए। तब
राजा ने कहा कि कबीर, यदि तू खुदा है तो इस गऊ को जीवित कर दे। साहेब
कबीर के आशीर्वाद से उसी समय दोनों माँ-बेटा जीवित हो गए। साहेब कबीर ने गऊ से दूध
निकाल कर बहुत बड़ी देग (बाल्टी) भर दी तथा कहा -
“गऊ अपनी
अम्मा है, इस पर
छुरी न बाह।
तब से सिकंदर लोधी, कबीर साहेब जी को अल्लाह मानता था। इस कारण वश
सिकंदर लोधी का धार्मिक गुरु शेख तकि पीर कबीर साहेब से ईर्ष्या करता था । कबीर
साहेब को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसने 52 बार उन्हें मरवाने की नाकाम कोशिश की।
तलवार से कटवा कर मारने की कोशिश।
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के पीर शेख तकी ने
कबीर साहेब को गुंडों से मरवाने की निष्फल कुचेष्टा की। शेख तकी के गुंडों ने
तलवार से कबीर साहिब जी के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और अपनी तरफ से मरा हुआ जानकार चल
पड़े लेकिन बाहर निकलने पर पीछे से कबीर साहिब ने आवाज देकर कहा पीर जी दूध पी कर
जाना। उनको भूत
समझकर सभी गुंडे और शेख तकि डर कर वहां से भाग गए।
खूनी हाथी से मरवाने की कूचेष्टा।
एक बार कबीर परमेश्वर को खूनी हाथी से मरवाने की
चेष्टा की गई, तब कबीर
परमेश्वर ने बब्बर शेर का रूप धारण किया जिससे हाथी घबराकर भाग खड़ा हुआ। कबीर
परमेश्वर ने महावत को भी सिंह के दर्शन करा दिए डर के मारे वह भी भाग गया। राजा सिकंदर
लोधी को कबीर परमात्मा ने अपना विराट रूप दिखाया। तब राजा थर्र थर्र काँपता
हुआ अपने सिंघासन से नीचे आया और कबीर परमेश्वर को दंडवत प्रणाम किया।
कबीर साहेब को झेरे कुएं में डालना।
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के धार्मिक पीर शेख
तकी ने कबीर परमेश्वर को 150 फुट नीचे गहरे कुएं में डलवा दिया और ऊपर से मिट्टी, कांटेदार
छड़ी, गोबर, ईट आदि से
डेढ़ सौ फुट ऊंचा भर दिया। लेकिन कबीर साहेब का वह कुछ नहीं बिगाड़ पाया, लौटते
वक़्त कबीर
साहेब उस को सिकंदर लोधी के पास ही आसन पर बैठे दिखाई दिए लेकिन फिर भी उस पापी
आत्मा ने कबीर जी को परमात्मा नहीं माना।
Prabhu leela |
उबलते तेल के कड़ाहे में डालना।
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने मुस्लमान पीरों के
दबाव में अपने धार्मिक पीर शेखतकी को कबीर परमेश्वर को सरसों के गर्म तेल के
कढ़ाई में डालने को कहा और कहा यदि वह न मरे तो हम उन्हें ख़ुदा मान लेंगे। तब
कबीर परमेश्वर उबलते तेल में इस तरह से बैठ गए जैसे कि शीतल जल में बैठे हो। तब
बादशाह सिकंदर लौधी ने कहीं तेल ठंडा तो नहीं है यह सोचकर उस में उंगली डाल कर
देखी तो सिंकदर की उंगली कट कर गिर गई, पीड़ा के कारण बादशाह बेहोश हो गया।तब कबीर
परमेश्वर ने सिकंदर लौधी के हाथ की उंगली को पूरा किया।
गंगा दरिया में डूबोकर मारने की चेष्टा
एकबार दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी ने आदेश दिया कि
कबीरजी को नौका में बैठाकर गंगा दरिया के मध्य में डालकर डुबोकर मार दो। आज्ञा
मिलते ही सिपाहीयों ने कबीर जी को गंगा दरिया के मध्य ले जाकर जल में फैंक दिया।
कबीर परमेश्वर जी की हथकड़ी, बेड़ी तथा गले की तोक अपने आप टूट गई। कबीर
परमेश्वर जी जल के ऊपर सुखासन लगाकर बैठे रहे, डूबे नहीं। इस मुस्लमान धर्म के पीर शेख तकी के
आदेश वश सैनिको ने परमेश्वर कबीर जी को मारने की बहुत कोशिश करी लेकिन उनका बाल भी
बाका नहीं हो पाया, कबीर जी ने दया करी। जल के अंदर समा गए। शेखतकी
खुशी से नाचने लगा कि डूब गया दुश्मन।
परमेश्वर कबीर जी अंतर्ध्यान होकर रविदास जी की
कुटिया में बैठे मिले। समर्थ परमात्मा कबीर जी के लिए कुछ भी करना नामुमकिन नहीं
है।
Kabir dohe |
मुर्दे को जीवित करना
दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेखतकी ने
कहा कि अगर यह कबीर अल्लाह है तो यह किसी मुर्दे को जीवित करे। तब कबीर साहेब ने
सुबह दरिया के बहाव में एक 10,12 वर्ष की आयु के लड़के का शव जो पानी में तैरता हुआ
आ रहा था। उस शव को कबीर परमेश्वर ने जिन्दा किया उसका नाम कमाल रखा।
इस प्रकरण से भी पीर शेख तकी नहीं माना, उसने एक
बार फिर कबीर परमेश्वर की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्हें कहा हम आपको वास्तव
में तब प्रभु मानेंगे जब आप मेरी लड़की को जीवित कर देंगे जो कब्र में दबी हुई है।
कबीर परमेश्वर ने शेख तकी की लड़की को जीवित कर दिया लेकिन शेख तकी ने फिर भी कबीर
साहेब को अल्लाह नहीं माना और मनमानी करता रहा।
काशी में विशाल भंडारा करना
एक बार शेख तकी पीर ने ईर्ष्यावश कबीर साहेब जी के
नाम से झूठी चिट्ठी डलवा दी की कबीर जी विशाल भंडारा करेंगे। कबीर जी जुलाहे का
कार्य करते थे, कम
महंताना मिलने के बावजूद, कबीरजी ने काशी में 3 दिन तक 18 लाख लोगों के लिए भंडारा आयोजित किया था। प्रत्येक
खाने के पश्चात् सभी को एक स्वर्ण की मोहर तथा एक दोहर दान दी थी।
इस प्रकार परमात्मा कबीर साहेब को 52 बार मरवाने की कोशिश की गयी थी पर परमात्मा को कोई
हानि नहीं पहुंची क्योंकि
परमेश्वर कबीर साहेब अजर अमर अविनाशी प्रभु हैं।
कबीर साहेब का दिया सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान को
समझने के लिए सुने कबीर साहेब के नुमाइंदे संत रामपालजी महाराज के पावन सत्संग-
साधना TV रात 7:30 pm पर।
Visit our website- Jagatgururampalji.org
Amazing
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