मोक्ष क्या है ?
जन्म और मरण के बंधन (मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र) से छूट जाना ही मोक्ष कहलाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि आत्मा तब तक एक शरीर से दूसरे शरीर में भटकती रहती है जब तक की उसे मोक्ष प्राप्ति नहीं हो जाती।
मोक्ष प्राप्ति के उपरांत आत्मा का यह 5 तत्त्व से बना शरीर नहीं रहता, उसका एक तत्त्व से बना नूरी शरीर हो जाता है जो कभी नहीं नष्ट होता।
मोक्ष प्राप्ति की हक़दाई सिर्फ मनुष्य योनि है, मनिष्य जन्म पाकर ही जीव सतभक्ति कर इस जन्म और मरण के बंधन से सदा के लिए मुक्ति पा लेता है।
या यूँ कह सकते है की 84 लाख योनियों में भटकने के बाद यह एक मानव जन्म सिर्फ मोक्ष प्राप्ति के लिए ही प्राप्त होता है। जिसे हम संसारी जीवन जीने, धन संग्रह करने में व्यर्थ गवा देते है।
Moksha is easy or hard? |
मोक्ष प्राप्ति आसान है या मुश्किल ?
विभिन्न धर्मों में मोक्ष को अलग अलग परिभाषित किया जाता है, और उसकी प्राप्ति के सबके तरीकें भी अलग अलग है।
कोई तो घर त्याग कर वैरागी बनके रहकर भक्ति करने को मोक्ष मानता है। कोई मोक्ष के लिए एक टांग पर खड़े रहकर, या निराहार रहकर घोर से घोर तपस्या करता है, कुछ लोग यह 5 विकार (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) से मुक्ति को मोक्ष की श्रेणी में लाकर खड़े कर देतें है और कोई मंदिरों के चक्कर लगाने से ही मोक्ष मानते है।
Sadhus of India |
इन आडम्बरों को देखने की वजह से हम सभी ने यह मान लिआ है की मोक्ष प्राप्ति एक जटिल तपस्या है जिसे आम इंसान या गृहस्त इंसान नहीं कर सकता।
वास्तविकता में मोक्ष प्राप्ति बहुत ही आसान है।
मोक्ष प्राप्ति की सही व्याख्या हमारे शास्त्रों में लिपिबद्ध है। शास्त्र यानी की (हिन्दू वेद, भागवद गीता) में लिखित मोक्ष विधि ही हमे स्वीकार्य होनी चाहिए। अन्यथा मनमानी भक्ति करने से साधक को कोई लाभ नहीं होता प्रमाण (गीता अध्याय 16 श्लोक 23)।
श्रीमद भागवत गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में साफ़ वर्णन है कि तत्वदर्शी सन्त की प्राप्ति के पश्चात् तत्वज्ञान रूपी शस्त्र से अज्ञान को काटकर अर्थात् अच्छी तरह ज्ञान समझकर उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की (सतलोक की) खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते अर्थात् उनका जन्म कभी नहीं होता। जिस परमात्मा ने सर्व रचना की है, केवल उसी की भक्ति पूजा करो। पूर्ण मोक्ष उसी को कहते हैं जिसकी प्राप्ति के पश्चात् पुनः जन्म न हो। जन्म-मरण का चक्र सदा के लिए समाप्त हो जाए।
मोक्ष प्राप्ति सिर्फ पूर्ण गुरु (तत्वदर्शी संत) बनाकर लिए गए सतमंत्रो के जाप से ही मुमकिन है।
अब सवाल ये उठता है की देश में हजारो संत है उनमे तत्वदर्शी संत की पहचान कैसे की जाये ?
“गरीब, पंडित कोटि अनंत है, ज्ञानी कोटि अनंत।
श्रोता कोटि अनंत है, बिरले साधु संत।।”
"गरीब, जिन मिलतें सुख उपजै मेटें कोटि उपाध।
भवन ढूंढिये परम स्नेही साध।।"
सरलार्थ:- इन वाणियो में संत गरीबदास जी ने बताया है कि करोड़ों तो पंडित यानि ब्राह्मण हैं जो आध्यात्म ज्ञान के विद्वान होने का दावा करते हैं और करोड़ों ज्ञानी भी हैं जो परमात्मा पर समर्पित हैं, परंतु यथार्थ भक्ति विधि का ज्ञान नहीं। उनके प्रचार के प्रवचन सुनने वाले श्रद्धालु श्रोता भी करोड़ों हैं, परंतु तत्वदर्शी संत तो बिरला ही मिलेगा।
जो तत्त्वदर्शी सन्त (पूर्ण सतगुरु) होगा उसमें चार मुख्य गुण होते हैंः-
1. वह वेदों तथा अन्य सभी ग्रन्थों का पूर्ण ज्ञानी होता है।
2. दूसरा वह परमात्मा की भक्ति मन-कर्म-वचन से स्वयं करता है, केवल वक्ता-वक्ता नहीं होता, उसकी करणी और कथनी में अन्तर नहीं होता।
3. वह सर्व अनुयाईयों को समान दृष्टि से देखता है। ऊँच-नीच का भेद नहीं करता।
4. चौथा वह सर्व भक्तिकर्म वेदों के अनुसार करता तथा करवाता है अर्थात् शास्त्रानुकूल भक्ति साधना करता तथा करवाता है।
वर्तमान में पूर्ण सतगुरु की परिभाषा पर सिर्फ संत रामपालजी महाराज ही खरे उतरें है।
Saint of India |
मोक्ष प्राप्ति का यथार्थ मार्ग
मोक्ष प्राप्ति का शास्त्रानुसार यथार्थ भक्ति मार्ग पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपालजी महाराज बतातें है।
संत रामपालजी महाराज शास्त्रों में वर्णित वह भक्ति मंत्र देते है जिससे ना सिर्फ साधकों को सांसारिक सुख प्राप्त होता है बल्कि पूर्ण मोक्ष के अधिकारी भी होतें है।
संत रामपालजी महाराज ने शास्त्रों में से व् सभी प्रमुख संतो की वाणियों और ग्रंथो में से यह परमाणित करके बताया है की कविर्देव यानी कबीर साहेब ही पूर्ण अविनाशी परमेश्वर है।
"गरीब, जल थल पृथ्वी गगन में बाहर भीतर एक। पूर्ण ब्रह्म कबीर है, अबिगत परूष आलेख।"
(वेदों में कविर्देव, गुरु ग्रन्थ साहेब में हक्का कबीर तथा कुरान शरीफ में अल्लाह कबीरन्) नाम से कबीर सहेब के पूर्ण परमात्मा होने की सम्पूर्ण जानकारी है।
God in hinduism |
कबीर साहेब ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश, ब्रह्म, पर ब्रह्म तथा सभी जीव आत्माओं के जनक है उत्पत्ति करता हैं।
कबीर साहेब ऊपर सुन्न शिखर में अविनाशी लोक "सतलोक" में विराज मान है।
हम सभी आत्माएं अपनी गलती से यहाँ काल (ब्रह्म) के लोक में फसीं है वह पहले अविनाशी लोक सतलोक में रहा करती थी। जहाँ कोई बुढ़ापा नहीं था, जन्म मरण नहीं था। (इसे समझने के लिए ज़रूर देखें सृष्टि रचना)
Heaven |
अविनाशी स्थान "सतलोक" को पुनः पाना ही पूर्ण मोक्ष है, जिसे सिर्फ तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज द्वारा दिए गए सतमंत्रो का जाप करके व् मर्यादा में रहकर आजीवन कबीर साहेब की सतभक्ति करके ही पाया जा सकता है
मोक्ष प्राप्ति के लिए हमे घर परिवार छोड़ने, ब्रह्मचारी रहने, भगवा वस्त्र धारण करने, पर्वतो पर जाकर तपस्या करने, तीर्थो व् मंदिरो में धक्के खाने, व्रत पर व्रत व् धार्मिक अनुष्ठान, हवन आदि करने की कतई आवश्यकता नहीं है। इसे घ्रस्त सांसारिक जीवन जीकर भी पूर्ण संत के सानिध्य में सतभक्ति करके पाया जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें-
"साधना चैनल" प्रतिदिन शाम 7:30 पर।
“ईश्वर टीवी" प्रतिदिन रात्री 8:30 पर।
हमारी वेबसाइट है।
पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए कृपया यह फॉर्म भरें।
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