Wednesday, July 8, 2020

मानव जीवन की वास्तविक परिभाषा।


मानव शरीर भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना है। मानव योनि 84 लाख अन्य योनियों के शरीर को भोगने के बाद नसीब होती है, इस शरीर को पाने के लिए स्वर्ग में बैठे देवता भी तरसते है क्यूंकि मानव शरीर से ही हम भक्ति कर इस जन्म और मृत्यु के चक्र से सदा के लिए मोक्ष प्राप्त कर सकते है।

मानव जन्म का परम कर्तव्य सिर्फ और सिर्फ परमात्मा की शस्त्राधारित भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना है। जिसे हम सांसारिक जीवन जीने में व्यर्थ कर देते है और फिर से अन्य योनियों के शरीर में भटक कर महाकष्ट उठाते है।




मानव जीवन का वास्तविक स्वरुप कैसा होना चाहिए ?


1.    मनुष्य में सदैव भगवान् का डर होना ज़रूरी है-

देखा जाये तो आज के समय में सबसे अधिक दयालु भी मानव है और सबसे अधिक घातक भी मानव योनि ही है। मानव के दयालु और घातक होने में सबसे बड़ा हाथ है अध्यात्म का और फिर परिस्थिति, संस्कारों व् संगती का।
कोई भी मानव जन्म से अपराधीक व्यक्तित्व का नहीं होता, उसे ऐसा उसकी परिस्थितियां, संस्कार व् बुरी संगती बनाती है, अगर किसी व्यक्ति में आध्यात्मिकता है, उसे भगवान् का डर है तो वह कभी भी बुरे कर्म नहीं कर सकता चाहे वह व्यक्ति गुनहगारों के बीच में ही पला बड़ा क्यों नहीं हो।

चीन देश में आधे से ज़्यदा लोग नास्तिक है जिसकी वजह से आज वह विश्व का सबसे आपराधिक गतिविधि वाला देश है। पाकिस्तान आदि मुस्लमान देशो में अध्यात्म तो है लेकिन वह शास्त्रोक्त ना होने से लाभकारी नहीं है, इसलिए वहाँ भी आतंकवाद जैसी गतिविधियां ज़्यादा है। खुदा ने कभी किसी को मांस खाने का आदेश नहीं दिया, फिर भी मुस्लमान धर्म में मांस नियमित तौर पर खाया जा रहा है जिसकी वजह से गलत अध्यात्म ज्ञान भी हानि का कारण बन रहा है।

कहने का तात्पर्य है की शास्त्रोक्त भक्ति साधना से भगवन का डर उत्पन्न होता है, भयभीत इंसान मन कर्म वचन से कभी किसी का बुरा नहीं करता। वह सद्गुणों, सदाचारो व् सत्संग का साथ करने वाला होता है। इसलिए स्वयं को अध्यात्म की ओर ले जाना मानव जीवन का प्रथम उद्देश्य होना चाहिए।




2.    दयालु व् भला करने वाला-

इंसान का सबसे अनमोल गुण है की सदा दुसरो के लिए दया व् भला करने का भाव रखें। दूसरों की मदद करने के लिए, दूसरे को समझने की कोशिश करें और लोगों की समस्याओं को अपनी आँखों से देखें और उनकी मदद करने की हर मुमकिन कोशिश करें।
भले इंसान का कोई शत्रु नहीं होता, ऐसे व्यक्ति समाज में इज़्ज़त के पात्र होतें है।




3.    दानी व् परोपकारी-

दानी व् परोपकारी होने के लिए आपको एक अमीर व्यक्ति होने की आवश्यकता नहीं है, यहां तक ​​कि एक गरीब व्यक्ति भी किसी की मदद करके या उसके भोजन आदि को साझा करके मानवता की बुवाई कर सकता है। अपने लिए तो हर कोई जीता है लेकिन दुसरो के दुःख में हाथ बटाना दुनिया का सबसे परोपकार का काम है।जो भूके व्यक्ति को भोजन आदि का दान करता है वह सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति है।




4.    बुरी आदतों व् लातों से दूर-

अच्छा व्यक्ति बुरी आदतें शराब, तम्बाकू, सुलफा, गांजा, अफीम आदि व्यसनों के सेवन से दूर रहता है। शराब पीकर समाज में हुड़दंग मचाना, बीवी बच्चों को मारना पीटना एक सभ्य मानव के लक्षण नहीं है। ऐसे व्यक्तियों को मृत्यु उपरांत घोर से घोर पाप से गुज़ारना पड़ता है ।
अच्छे स्वाभाविक व्यक्ति समाज में प्रेरणा स्रोत होतें है, वे चोरी, रिश्वतखोरी, दहेज़ लेंन देंन जैसी कुप्रथाओं तक का खंडन करने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाते।




5.    सभ्य, समझदार व् सच्चा व्यक्तित्व-

हर धर्म हमें मानवता, शांति और प्रेम के बारे में बताता है यही कारण है कि कोई भी धर्म मानवता से ऊंचा नहीं है।
मानव धर्म में सच्चे व्यक्तित्व का होना सबसे अहम् उसूल है। अच्छा इंसान ना केवल धैर्य पूर्वक बोलता है बल्कि उसकी बोली में मिठास भी होती है।समझदारी भी उसकी बोली में झलकती है।
अच्छा इंसान ना सिर्फ सत्य का साथ देने वाला होता है। बल्कि उसके चलने, फिरने, उठने, बैठने, बोलने, देखने में भी साधूता होती है।
आज पश्चिमी प्रवर्ति से घ्रस्त समाज में छोटे बड़े का आदर नहीं रहा ना कपडे पहनने का ढंग रहा, जैसा देश हो वैसा भेष होना अति आवश्यक है जिससे उस देश की संस्कृति व् सभ्यता पर कोई आंच नहीं आये।
अच्छे व् सच्चे व्यक्ति को सभ्यता का अनुसरण करना चाहिए।


कैसे पाए मानवता के सभी प्रमुख गुण-


ईश्वर ने मानव देह को पाँच तत्वों से एक जैसा बनाया है। हम सभी आत्माएं एक परमात्मा की अंश है। आज इंसान एक जैसा होने के बावजूद मानवता को छोड़कर, इंसान के द्वारा बनाये गए धर्मों के भेद-भाव के रास्ते पर निकल पड़ा है।
जिसके चलते एक इंसान किसी दूसरे इंसान की ना तो मज़बूरी समझता है और ना ही उसकी मदद ही करता है। यहाँ पर इंसानियत पर धर्म की चोट पड़ती है। लोग इंसानियत को छोड़कर अपने ही द्वारा रची गई धर्मों की बेड़ियों में जकड़े जा रहे हैं। इंसान धर्म की आड़ में अपने अंदर पल रहे वैर, निंदा, नफरत, अविश्वास, उन्माद और जातिवादी भेदभाव के कारण अभिमान को प्राथमिकता दे रहा है। जिससे उसके भीतर की मानवता दम तोड़ रही है।
इंसान मोक्ष पाने के अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है और तो और अपने परमपिता परमात्मा को भी भूल गया है। इन सबके चलते मानव के मन में दानवता का वास होता जा रहा है।

मानव जीवन का पुनरुत्थान सिर्फ और सिर्फ पूर्ण गुरु बनाकर शास्त्रोक्त सतभक्ति करने से संभव है।

वर्तमान में सिर्फ संत रामपालजी महाराज ही ऐसे एक मात्र गुरु है जिन्होंने वास्तव में मनुष्य जन्म जीने का सही तरीका बताया है।

संतजी का नारा है-

जीव हमारी जाती है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।

संत रामपालजी महाराज के बताये आध्यात्मिक ज्ञान से आज लाखो करोड़ो लोगो को जीने की नयी राह मिली है। संतजी के बताये आध्यात्मिक ज्ञान से उनका कोई अनुयायी शराब, तम्बाकू, गुटखा आदि व्यसनो का सेवन करना तो, उन्हें दूर छूता तक नहीं है।



समाज में दहेज़ नाम की कुप्रथा बेटियों को नारकीय जीवन जीने के लिए विवश करती आई है। इसे जड़ से सिर्फ संत रामपालजी महाराज द्वाराबताये आध्यात्मिक सत्संग ही ख़तम कर सकतें है। संत रामपालजी महाराज के सत्संगो से पताचला की दहेज़ लेने व् देने का कोई लाभ नहीं है। किसी को भी अपने भाग्य से ज़्यादा नहीं मिल सकता, अगर कोई माता पिता अत्यधिक पैसा या दहेज़ देकर बेटी को विदा करते है तो वह उसके भाग्य में ना होने के कारण, हानी का कारण बन जाता है। संत जी के बताये शास्त्रानुसार आध्यात्मिक ज्ञान के प्रभाव से देश में अब गुरुवाणी द्वारा हजारो दहेज़ रहित शादियाँ होने लगी है।



यही नहीं संतजी का कोई अनुयायी धर्म, जाती, ऊंच नीच आदि को लेकर किसी के साथ भेद भाव नहीं करता। सभी एक दूसरे से प्रेम व् भाईचारे का व्यवहार रखते है। उपरोक्त बताएं सभी मानव गुणों से संतजी के अनुयायी परिपूर्ण है।

संतजी ने हमें ना सिर्फ मनुष्य जन्म की वास्तविक परिभाषा का ज्ञात करवाया है बल्कि उस पर चलने का अपनी पुस्तक "जीने की राह" में सही मार्ग दर्शन भी दिया है।

संतजी के बताये आध्यात्मिक ज्ञान ना सिर्फ मनुष्यता पनपती है बलिक इस जन्म और मृत्यु के चक्र से पूर्ण मोक्ष होना भी गारंटीड है।



अधिक जानकारी के लिए देखें-
"साधना चैनल" प्रतिदिन शाम 7:30 पर।
ईश्वर टीवी" प्रतिदिन रात्री 8:30 पर।

हमारी वेबसाइट पर भी जा सकतें है।

3 comments:

  1. लेखन में कुछ त्रुटियां हैं उनपे भी ध्यान देवें बाकी आपका विषय काफी सराहनीय एवं प्रभावशाली हैं।

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  2. Bhut hi Umdaa Likha gya h..��

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